किताब लेखन के लिए हर माह एक लाख

तक्षशिला एजुकेशन सोसायटी फणीशसिंह की स्मृति में पुस्तक लेखन के लिए शोधवृत्ति का ऐलान किया है। हिन्दी में पुस्तक लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए एक वर्ष की अवधि में 12 लाख शोधवृत्ति दी जाएगी। विविध विषयों में आवेदन किया जा सकता है। अपने जीवनवृत के साथ पुस्तक के विषय के संबंध में पाँच हजार शब्दों में सनापस्सि प्रस्तुत करना होगा। शार्टलिस्ट होने के बाद आवेदक का साक्षात्कार किया जाएगा। विस्तृत जानकारी के लिए felloship@takshsila.net पर 31 अक्टूबर तक आवेदन करना होगा. समूची प्रक्रिया जानने के लिए www.takshila.net/publication.html. पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
सीखें जर्मन भाषा
फेडरेशन ऑफ मध्य प्रदेश, चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री सितम्बर माह से जर्मन भाषा की क्लास शुरू कर रहा है। फेडरेशन के सचिव प्रवीण आचार्य के मुताबिक यह कोर्स भारत सरकार की तीन भाषा फार्मूले पर आधारित है। जर्मन भाषा की कक्षा सप्ताह में दो दिन होगी। कक्षा ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों मोड में होगा। तीन तीन महीने के चार कोर्स होंगे। हरेक की परीक्षा में पास होने के बाद अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा। बताया गया है कि अफोर्डबल फीस में एक अन्य भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। अधिक जानकारी के लिए वेबसाईट सर्च किया जा सकता है।
विदेश में उच्च शिक्षा के अवसर
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा विदेश में उच्च शिक्षा के अवसर के अंतर्गत पीएचडी और स्नातकोत्तर के लिए आवेदन बुलाए हैं। दो दो वर्ष के लिए 9 विषयों में अनुसूचित जाति वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए मौका है। 2 सितम्बर तक आवेदन करना है। अधिक जानकारी के लिए उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट देखिए।
दिनेश और पंकज यूएनआई के संग

मध्यप्रदेश के युवा पत्रकार दिनेश शुक्ला और छत्तीसगढ़ के पत्रकार पंकज शर्मा ने देश की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया दिनेश यूएनआई से जुडऩे से पहले कई प्रतिष्ठित संस्थाओं और चैनलों में अपनी सेवा दे चुके हैं। सहयोग और संपर्क दिनेश की खास पहचान है।

छत्तीसगढ़ में नई पारी शुरु करने वाले पंकज शर्मा छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहने के बाद उन्होंने पत्रकारिता करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की। इस दौरान वे हरिभूमि और पत्रिका समूह से जुड़े रहे। आगे चलकर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इंडिया 24 और ईटीवी (न्यूज 18) जैसे चैनलों में रिपोर्टर के रूप में अपनी पहचान बनाई।
रेल्वे पीआरओ का सम्मलेन
भारतीय रेलवे आज केवल परिवहन नहीं, बल्कि राष्ट्र की प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक बन चुका है। इससे जुड़े हर अधिकारी और कर्मचारी ने सेवा और समर्पण से रेलवे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। मुझे विश्वास है कि जनसम्पर्क विभाग जन-संवाद और नवाचार को प्राथमिकता देते हुए रेलवे सेवा को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगा। यह बात लोकसभा अध्यक्ष श्रो ओम बिरला संसदीय क्षेत्र कोटा में आयोजित अखिल भारतीय रेलवे जनसम्पर्क अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों के सेमिनार में देशभर से पधारे अधिकारियों से कहा। श्री बिरला का कहना था कि आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के दौर में जनसम्पर्क केवल सूचना का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि जनभावनाओं को समझकर समाधान तक पहुँचाने का भी एक सशक्त माध्यम है।
बरकतउल्लाह का दीक्षांत समारोह 8
बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह अंतिम चरण में है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 8 सितंबर को होने वाले इस दीक्षांत समारोह के लिए गर्वनर की सहमति मिल गई है। 28 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान किए जाने की सूचना है। पूरा कार्यक्रम अभी आना शेष है। विवि सूत्रों की मानें तो दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा के आने की भी संभावना है।
पाठराबे की भोपाल से रवानगी
पीआईबी भोपाल में लम्बे समय से पदस्थ एडीजी प्रशांत पाठराबे को आखिरकार अहमदाबाद के लिए रवाना कर दिया गया है। पाठराबे भोपाल छोडक़र जाना नहीं चाहते थे और तबादला आदेश के बाद भी वे आशांवित थे कि उनका तबादला रूक जाएगा। मंत्रालय के ताजा आदेश के बाद उन्हें जाना पड़ रहा है। उनके निकटस्थ लोगों की मानें तो कोई डेढ़ साल में रिटायर हो रहे पाठराबे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति भी ले सकते हैं। ज्ञात रहे कि उनके साथ अन्य लोगों ने अपना-अपना पदभार सम्हाल लिया है।
राघवेंद्र हुए नया इंडिया के
वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह के बारे में सूचना मिली है कि वे इसी माह नया इंडिया भोपाल का कमान संभालने जा रहे हैं। राघवेंद्र की पत्रकारिता की लंबी पारी है। पीपुल्स समाचार में संपादक रहने के बाद एमसीयू से जुड़ गए थे लेकिन उन्हें यह रास नहीं आया और फिर पुराने मैदान में लौट आए। आईएनडी टीवी के साथ उनका पुराना नाता है। अब वे वापस अखबार की दुनिया में लौट रहे हैं। जगदीप बेस के देहांत के बाद से नया इंडिया को संपादक की जरूरत थी। राघवेंद्र इसी अखबार के चर्चित स्तंभकार रहे हैं |
बातें हैं बातों का क्या
एमसीयू में फीडबैक सिस्टम क्या लागू किया, सबकी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी. परिसर में उड़ती-दौड़ती खबरों की माने तो स्टूडेंट्स की चाँदी हो गई है. फेवर में फीडबैक देने के लिए मुंह मीठा कराया जा रहा है. अब बातें हैं बातों का क्या लेकिन दम तो इस बात में है कि गुरु तो गुरु होते हैं
